Friday, March 11, 2011

मौसम.............



आज फक्त बैठा तो एक पुराना मौसम याद आ गया
आँखों से गिरी बूंदों से सावन याद आ गया 
सादगी में लिपटी हुई हुस्न की वो किताब नज़र आ गयी 
जैसे दिल के ताजमहल में हमें मुमताज़ नज़र आ गयी

वही खुली जुल्फें, गहरी आँखें, भीगे होंठ और माथे पर एक बिंदी थी 
जैसे अभी-अभी दिल की बगिया से एक ताज़ा कली खिल के बाहर निकली थी 
आज यूँ ही बातें करते हुए सोचा की, दिल का हाल बयां कर देते हैं उनके सामने 
पर अगले ही पल आँखों के सामने, हमारे वादों की हिजाब नज़र आ गयी 

काश ये दूरियां न होती, ये मजबूरियां न होती 
हम भी करते उनसे दिल का हल बयां, गर अपने ही वादों की बेड़ियाँ न होती 
आज फिर उनकी यादों से किनारा कर लिया,
हमने जब भी आइना देखा नज़ारा कर लिया |

--- ज्ञान प्रकाश.......


No comments:

Post a Comment

Powered By Blogger