Thursday, October 6, 2011

मैं

आज घर से दूर अकेला बैठा हूँ मैं 
हर वक़्त हर घडी अपनों को याद करता हूँ मैं
पापा माँ अकेले बैठे होंगे असोरे में
और यहाँ मुक्कदर से लड़ रहा हूँ मैं 
अपने लोगों से मिलने की खवाइश में 
अपने मुक्कदर को हाथ पे ले कर चल रहा हूँ मैं
हर झोकें से लड़ता हर तूफान से घबराता 
आज कल अपनी किस्मत को आजमा रहा हूँ मैं 
अपने दिल को बहलाता फुसलाता रहता 
हमेशा सुनहरे सपने की आस में दौड़ता रहता हूँ मैं
माँ पापा ने अपने दिल को समझाया होगा कितना
आज उनके सपनो को जिंदा रखने के लिए 
अपने हाथों की लकीरों से लड़ता रहता हूँ मैं |

कुछ बात हो

आँखों आँखों में इशारा कर दो तो कुछ बात हो,
दिल की हर बात दिल से कह दो तो कुछ बात हो,
मेरे हाथों में तुम्हारा हाथ हो तो कुछ बात हो,
तुम्हारे दिल से मेरे दिल की मुलाकात हो तो कुछ बात हो,

कल यूँ ही बैठा तो तुम्हारी याद ने कानो में कहा की,
आज तुम्हारे प्यार की बरसात हो तो कुछ बात हो,
आँखों से आंसूं आये और तुम साथ हो तो कुछ बात हो,
तुम्हारा और मेरा जीवन भर का साथ हो तो कुछ बात हो,

तुम हमेशा याद आते हो कभी याद न आओ तो कुछ बात हो,
हमारे दिल के जज्बात तेरे सामने आये तो कुछ बात हो,
तुम सामने आओ और हम बेहोश न हों तो कुछ बात हो,
खुदा आ कर तेरा हाथ मेरे हाथों में दे तो कुछ बात हो|

--- ज्ञान प्रकाश.
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