Thursday, August 19, 2010

A Long Way To Go

सुबह की किरणों के साथ मैंने सफ़र की सुरुआत की थी,
पर ये कहाँ आ पहुंचा चलते-चलते पता भी ना चला,
अभी तो सुबह की किरणों ने धनक से अपना रंग भी न छोड़ा था,
की आँखों में एक स्याह की लकीर ने बसेरा कर लिया |
 लक्ष्य के देखकर ऐसा लगता है की कैसे पहुचूँगा मैं,
और अभी तो दुपहरी का पहर भी आना है,
कैसे अपने लक्ष्य को हासिल करूँगा मैं |
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