Thursday, December 16, 2010

ज़िक्र..........

कल अनायास ही उनके ज़िक्र ने आँखों में पानी ला दिया |
एक दस्तक ने दिल के बंद दरवाजे को खोल के सारा सिस्टम हिला दिया |
कल रात तो शराब ने भी अपना असर करने से मना कर दिया |
रात भर उनकी यादों से एक हसीं ख्वाब बना लिया |

हमने तो ऊपर वाले से बस एक हसीं लम्हा ही माँगा था |
उसने तो एक रात में ही पुरि कायनात को जमीं पे ला दिया |
हम तो समझे थे की हम भूल गए हैं उनको |
पर उनके एक ज़िक्र ने हमारे सारे वहम को मिटा दिया |

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